बेवकूफ जनता- बेईमान नेता

बेवकूफ़ जनता/ बेईमान नेता


है चुनाव सर पर खड़ा, नेता मांगे वोट
पांच साल गायब रहे, दिखा रहे हैं नोट
दिखा रहे हैं नोट, वोट तुम मुझको देना
रहना तुम हुशियार, सामने झूठी सेना।

बनी मेरी सरकार, तो होंगे वारे - न्यारे
देखो अबकी बार, चुनाव में हम ना हारें
भले गया हूँ जेल, तुम मुझे जिताना
मुझ जैसा निष्पाप, प्राणी है मुश्किल पाना।

अगर गया मैं जीत, तो होगी दारु सस्ती
घर - घर ठेके खुलवा दूंगा, होगी पूरी मस्ती
बिजली पानी सारे, तुमको मुफ्त मिलेंगे
पांच सितारा जैसे, सरकारी स्कूल खुलेंगे।

महंगाई कि वाट, लगाऊं देकर भत्ता
बस इक बारी मिल जाए, मुझको जो सत्ता
भृष्टाचारी सारे, होंगे जेल के भीतर
जनता का यह राज, हम हैं आप के लीडर।

नहीं चाहिए बंगला गाडी, करने सेवा आए
लम्बे - चौड़े करके वादे, सत्ता को हथियाए
बेवकूफ है भोली जनता, झाँसों में आ जाती
गिरगिट जैसी सरकारें, इनके हिस्से आती।

सत्ता लोलुप यही भेड़िये, भेड़ बने मिमयाते
बनते ही सरकार, असली अपना रंग दिखाते
जिनको समझी जनता सेवक, मालिक बन गुर्राते
देशभक्ति का पहन के चोला, देश ही बेच के खाते।।

आभार - नवीन पहल - ०१.०४.२०२४ 🙏🏻🙏🏻

# दैनिक प्रतियोगिता हेतु कविता 


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4 Comments

Mohammed urooj khan

16-Apr-2024 12:24 PM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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Gunjan Kamal

08-Apr-2024 08:34 PM

बहुत खूब

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Punam verma

02-Apr-2024 01:53 PM

Very nice👍

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